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12th class Home Science Most Important Questions ! All Board Exam Questions 2022




 Q 1. शारीरिक अक्षमता एवं मानसिक अक्षमता से युक्त बालका में अन्तर स्पष्ट करें।

उत्तर:- शारीरिक अक्षमता यक्त बालक-शारीरिक अक्षमता युक्त अर्थात शरीर से विकलांग बालकों के हाथ या पैर टेढे-मेढे होते हैं। वे नेत्रहानमा सकते हैं। जिन्हें शल्य चिकित्सक, स्नायुतंत्र चिकित्सक द्वारा निरीक्षण करवाकर उनकी शल्य चिकित्सा.कत्रिम अंग लगवाया जाना, उचित शिक्षा एवं व्यवस्थापन प्रशिक्षण दिलाने से लेकर उसके खान-पान, वस्त्र, आवास आदि के लिए आधिक सहायता प्रदान की जाती है।

मानसिक अक्षमता युक्त बालक-वैसे बालक जो मानसिक रूप से विकलांग अर्थात् कम वृद्धि वाले होते हैं उसे मानसिक अक्षमता युक्त बालक कहते । हैं। इसके लिए मनोवैज्ञानिक निरीक्षण और मानसिक अक्षमता सेवा प्रदान किए जाते हैं। साथ ही उसकी उचित शिक्षा, खान-पान, वस्त्र, आवास आदि के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराकर उसे समुचित मनोरंजन प्रदान किये जाते हैं।

Q 2. बच्चे की वैकल्पिक देख-रेख को परिभाषित कीजिए।

उत्तर:- बच्चे की वैकल्पिक देख-रेख-बच्चे की वृद्धि एवं विकास के लिए उसकी देख-रेख होना आवश्यक है। बच्चे की देखभाल करने का पूर्ण दायित्व उसके माता-पिता पर होता है, परन्तु आवश्यकता पड़ने पर वे किसी-न-किसी प्रकार समायोजन करके वैकल्पिक व्यवस्था के सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव करते

वैकल्पिक देख-रेख से अभिप्राय है कि माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चे की उचित देखभाल के लिए विकल्प का चुनाव करना।

Q 3. बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- सामान्यतया बेरोजगारी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से लिया जाता है, जो किसी भी प्रकार का कार्य न कर रहा हो। बेरोजगारी की समस्या न केवल आर्थिक विकास के मार्ग में बाधक है, बल्कि समाज में अशांति पैदा करती है।

प्रिंटिंग खोलकर, शिशुगृह (क्रेच) खोलकर, साबुन तथा अपमार्जक का निर्माण कर, संरक्षण संबंधी व्यवसाय करके, वस्त्र सिलाई (बूटीक) करके, ड्राइंग तथा ड्राइक्लीनिंग खोलकर, प्रशिक्षण कक्षाएँ चलाकर, लघुउद्योग स्थापित करके हम बेरोजगारी दूर करने में मदद कर सकते हैं।

Q 4.कपड़ों की वार्षिक देखभाल का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर:-प्रत्येक परिवार में भिन्न-भिन्न कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। कुछ वस्त्र नित्य प्रति प्रयोग में आते हैं. कुछ ऋतु के अनुसार प्रयोग में लाए जाते हैं, किन्तु कुछ वस्त्र ऐसे होते हैं जिनका प्रयोग विवाह आदि अवसरों पर किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि वस्त्रों को फफूंदी और कोड़ों से किस प्रकार सुरक्षित रखा जाये। वस्त्रों की सुरक्षा व रख-रखाव के निम्न उपाय हैं

(1)बक्सों और अलमारियों में रखना:- बक्सों और अलमारियों में वस्त्र रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इनमें नमी न हो। बक्सों की तलो में नीम की पत्तियाँ या डी०डी०टी० पाउडर डालकर उन पर अखबार या कागज बिछाकर कपड़े रखने चाहिएँ।

(2) वस्त्रों को सुखाकर रखें:- वस्त्रों को भली प्रकार सुखाकर रखना चाहिए। वस्त्रों में नमी होने से वे खराब हो जाते हैं।

(3) वस्त्रों को धोकर रखें-कपड़े सदैव धोकर, स्वच्छ करके रखने चाहिएँ। गन्दे वस्त्रों में कीड़े लगने का भय रहता है।

(4) अखबार का प्रयोग-वस्त्रों को पुराने अखबारों में लपेटकर रखने से भी लाभ रहता है। इससे कीडा नहीं लगता है। अखबार की स्याही विशेष प्रकार की रासायनिक क्रियाओं से निर्मित होती है. जो वस्त्रों को कीडों से बचाती है।

Q 5. शिशु सदन एवं चलते-फिरते शिशु सदन क्या है?

उत्तर:-शिश सदन (Creche) वर्तमान समय में शिशु सदन बच्चों की देख-रेख में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह शिश सदन स्वयंसेवी संगठनी तथा व्यावसायिक संगठनों द्वारा चलाये जाते हैं। व्यावसायिक संगठनों द्वारा चलाये जाने वाले शिशु सदनों में बच्चे की देखभाल की उचित व्यवस्था होती है क्योंकि उनका उद्देश्य धनोपार्जन करना है, इसलिए वे बच्चे की सभी सविधाओं का ध्यान रखते हैं। धनी वर्ग के लोग इन शिश सदनों का लाभ उठाते हैं।

चलते-फिरते शिशु-सदन (Mobile Creches)-भारत में विभिन्न निर्माण स्थलों पर मजदूरी करने वाली महिलाओं के लिए कार्य-स्थल पर ही चलते-फिरते शिशु सदन बना दिये गये हैं। इन शिशु सदनों में बच्चों की देखभाल के लिए निम्न मध्यम वर्गीय प्रशिक्षित कार्यकर्त्ता होते हैं जिन्हें बच्चों के मनोविज्ञान का जान होता है तथा जो बच्चों की देख-रेख उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप करते हैं। इन शिश सदनों में बच्चे की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को भी पूरा करने का प्रयास किया जाता है। इन शिशु सदनों का एक लाभ यह भी है कि माताएं अवकाश समय में आकर बच्चों को स्तनपान करा सकता हा इन स्थला पर निर्माण कार्य समाप्त हो जाने पर शिशु सदनों को भी नए निर्माण स्थल पर ले जाया जाता है। इसी कारण इन्हें चलते-फिरते शिशु सदन कहा जाता हा यह शिशु सदन सरकार तथा स्वयं सेवी संगठनों के द्वारा निम्न वर्गीय परिवारों के बच्चों की देखभाल के लिए विशेष रूप से चलाये जाते हैं।

Q 6 . व्यक्तिगत स्वच्छता।

उत्तर:- व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए अपने शरीर को स्वच्छ रखना जरूरी है। इसके अभाव में वह रोगी हो जाता है। शारीरिक स्वच्छता से तात्पर्य त्वचा. आँख, मक नाखून, बाल, मुख आदि प्रत्येक अंग को स्वच्छता से है। शरीर के आन्तरिक अंगों को भी स्वच्छ रखना चाहिए। यदि शरीर से पसीना, मल-मूत्र जैसे विकार निष्कासित न हों तो पेट में गैस, अफारा, जी मिचलाना आदि विकार उत्पन्न हो जायगे तथा शरीर रोगी हो जायेगा। हमें शरीर को बाहा तथा आन्तरिक दोनों प्रकार को स्वच्चता का ध्यान रखना चाहिए।

Q 7 . भारतीय मानक संस्थान क्या है?

उत्तर:-भारतीय मानक संस्थान ISI को ही अब भारतीय मानक ब्यरो BIS कहा जाता है। 1952 केISI. अधिनियम के अन्तर्गत भारतीय मानक ब्यूरो को किसी भी पदार्थ बिजली तथा प्रणाली के लिये मानक स्थापित करने का अधिकार है। इसमें लगभग सभी भोज्य पदार्थ, बिजली के उपकरण, बर्तन तथा सौन्दर्य प्रसाधन, आते हैं। ISL चिन्ह लगाने की अनुमति तभी मिलती है उत्पादन पूरी निर्माण-प्रक्रिया में BIS के मानकों के अनुसार तैयार किया गया।



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