Qus 1. व्यष्टि अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- व्यष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो किसी व्यक्तिगत इकाई के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन करती है। यह इकाई एक विशेष व्यक्ति, एक विशेष परिवार अथवा एक विशेष व्यापारिक फर्म हो सकती है। व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किसी एक इकाई से होता है, सभी इकाइयों से नहीं।
Qus 2. आर्थिक समस्या को चयन की समस्या क्यों माना जाता है?
उत्तर-मनुष्य की आवश्यकता अनन्त व असीमित होती है। किंतु आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन सीमित है। एक साथ सारी आवश्यकताओं की पति नहीं की जा सकती। अतः उसके सामने चयन की समस्या उत्पन्न हो जाती है और चयन की समस्या ही आर्थिक समस्या कहलाती है। साधनों की दुलर्भता ही उसकी आर्थिक समस्याओं अर्थात् चयन की जननी है। अभाव और चयन साथ-साथ चलते हैं।
Qus 3.परिवती अनुपात के नियम से क्या आशय है?
उत्तर-परिवती अनुपात का नियम बताता है कि जैसे-जैसे रिश साथ एक परिवर्तनशील कारक की अधिक से अधिक कारणों जाता है तो एक स्थिति ऐसी अवश्य आ जाती है जब परिवर्तनशी अतिरिक्त योगदान अर्थात् परिवर्तनशील कारक का सीमांत उत्पादन कम होने लगता है।
Qus 4. बाजार मूल्य क्या है?
उत्तर-बाजार मूल्य अति अल्पकालीन साम्य मूल्य होता है। अति अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें पूर्ति लगभग स्थिर रहती है या गोदामों में रखे टॉक तक सीमित होती है। बाजार मूल्य किसी समय विशेष में बाजार में वास्तव में प्रचलित होता है चूँकि अति अल्पकाल में पूर्ति लगभग स्थिर रहती है इसलिये बाजार मूल्य निर्धारण में मुख्य तथा सक्रिय प्रभाव माँग का पड़ता है।
Qus 5. नियंत्रित कीमत तथा संतुलन कीमत में क्या संबंध है?
उत्तर-संतुलन कीमत वह कीमत होती है जहाँ वस्तु की माँग और पति बराबर होती है जबकि नियंत्रित कीमत बाजार द्वारा आवश्यक वस्तुओं की न्यूनतम पूर्ति के लिए की जाती है। यह कीमत संतुलन कीमत से नीचे निर्धारित की जाती है।
Qus 6. अपूर्ण प्रतियोगिता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार का वह प्रारूप है जो कि विशद्ध प्रतियोगिता एवं विशुद्ध एकाधिकार की दोनों चरम सीमाओं के बीच स्थित रहता है। अन्य शब्दों में, जब पूर्ण प्रतियोगिता की दशाओं में से किसी भी दशा का अभाव होता है तो अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। तकनीकी भाषा में हम कह सकते हैं कि अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में एक व्यक्तिगत उत्पादक (फर्म) की वस्तु की माँग पूर्णतः लोचदार नहीं होती।
Qus 7. मुद्रा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- "मुद्रा एक मी वस्तु है जो विनिमय के माध्यम, पृल्य के सापक, स्थगित भगवानों के मान तथा मूल्यों में संचय के साचन के रूप में स्वतन्त्र, विस्तृत तथा सामान्य रूप से लोगों द्वारा स्वीकार की जाती है। इस प्रकार बैंक नोट प्रतिमनियों (nucurities) तथा साख पत्रों को मुद्रा में सम्मिलित किया जा सकता है।
Qus 8.माँग की लोच से आप क्या समझते है?
उत्तर-मांग की मूल्य सापेक्षता अथवा लोच किसी वस्तु के प्रसारण तथा संकुचन के स्वभाव को कहते हैं। लोच दो बातों पर निर्भर करती है-त) वस्तु का स्वभाव और (ii) उस पर पड़ने वाला दबाव। यदि वस्तु लचीले स्वभाव की है तो कम दबाव से ही उसमें अधिक प्रसार हो जायेगा, परन्तु यदि लचीले स्वभाव की नहीं है तो अधिक प्रभाव के बावजूद भी उसमें बहुत कम प्रसार हो पायेगा। यही प्रभाव कीमत परिवर्तनों से माँग पर पड़ता है। यदि कीमत परिवर्तन से वस्तु की मांग भी परिवर्तित हो जाती है तो वस्तु को लोचदार और यदि कीमत परिवर्तन से वस्तु की मांग परिवर्तित नहीं होती तो उसे बेलोचदार कहेंगे। इस प्रकार माँग की लोच किसी वस्तु की कीमत तथा माँग के बीच सम्बन्ध की मात्रा को बतलाती है।
Qus 9.उत्पादन फलन क्या है?
उत्तर-उत्पादन फलन उत्पादन सम्भावनाओं की सूची है अर्थात् एक फर्म का उत्पादन फलन एक दिये हए समय में तथा तकनीकी ज्ञान की दी हुई स्थिति में साधनों के सभी सम्भव संयोगों तथा प्रत्येक संयोग से सम्बन्धित उत्पादन के बीच सम्बन्ध को बताता है। दूसरे शब्दों में, उत्पादन फलन किसी फर्म के लिये उत्पत्ति के साधनों की भौतिक मात्राओं तथा उनके प्रयोग के परिणामस्वरूप प्राप्त उत्पादन की भौतिक मात्रा के बीच सम्बन्ध को बताता है।

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