ques.1-लोहा क्या है ? इसकी खोज क्यों की जा रही है?
लोहा प्रतीक है कर्म का। यह लोहा शोषित जनता का हथियार है। यह घर का अध्येतर भी है और बाहर भी। यह व्यक्ति के जीवन और संबंधों में मिला हया और प्रवाहित है। यह हमारा आधार है। इसको खोज इसलिए की औरही है कि व्यक्ति अपने कर्म से विमुखन हो। यदि वह उसे ठोस भी मानता है तो से शोषित होने से उसके जीवन के हर क्षणों में कभी हौसया, तगड़ी, कुदाल वरकर कार्य को सरल बनाने के काम आता है तो कभी दूरी कम करने में साइकिल बनाकर||
ques.2- अशोक वाजपेयी द्वारा रचित 'हार-जीत' कविता का केन्द्रीय भाव क्या है?
अशोक वाजपेयी रचित हार-जीत कविता का केन्द्रीय भाव यह की स्थिति से क्षुब्ध है। वह शासकों के क्रियाकलाप से असंतुष्ट है।वह युद्ध के विषय में हार-जीत पर प्रश्न खड़ा करता है कि आखिर इस युद्ध में हार जित किसकी होती है। कवि कहते है कि युद्ध में हार-जीत की नहीं बल्कि हार-जीत किसकी होती है।विनाश की होती है।
ques.3 -उषा का जादू कैसा था?
उषा का जादू उषाकालीन नभ की प्राकृतिक सुंदरता है जिसके लिए कवि ने बहुविध उपमान जैसे नीले शंख, राख से लीपे हुए गीले चौक, काली सिल जो लाल केसरिया धुली हो, लाल खड़िया से लिखी स्लेट के समान आदि प्रस्तुत किया है। सूर्योदय के पूर्व ही आकाश की गोद में उषा का जादू चलता रहता है। उषा का जादू नीले शंख के समान, राख से लीपे हुए गीले चौक आदि के समान है।
ques.4- जन-जन का चेहरा एक' से कवि का क्या तात्पर्य है?
'जन-जन का चेहरा एक से कवि का तात्पर्य है-इस पूरी धरती पर मनष्य के जीवन की संघर्ष कहानी एक है। शोषकों, खूनियों और चोरों के विरुद्ध हर आदमी की संघर्ष कहानी एक सी है। पूँजीवाद के विरुद्ध समाजवाद की लड़ाई पूरे संसार में मची है। क्रांति की ज्वाला सारे संसार में जल रही है। सभी सत्य का उजाला और अपना हक चाहते हैं।
ques.5- 'उत्सव' का क्या तात्पर्य है?
'हार-जीत' कविता में 'उत्सव' का तात्पर्य है तटस्थ प्रजा का राज्यादेश के कारण उत्सव मनाना। प्रजा अंधानुकरण और गैर-जवाबदेही का शिकार है। प्रजा को देश की वास्तविक स्थिति ज्ञात नहीं करायी जाती है। यहाँ 'उत्सव' का तात्पर्य है, झूठे प्रचारतंत्र के द्वारा शासन चलाना।
ques.6- गाँव का घर' कविता का केन्द्रीय भाव क्या है?
उत्तर-'गाँव का घर' कविता में अपने गाँव की स्मृतियों का उल्लेख किया है। कवि का बचपन गाँव में गुजरता है। जब वह अपने चौखट से बाहर की दुनिया में आता है तो बदलाव देखता है। नव पूँजीवाद, आर्थिक उदारीकरण के कारण उसकी परम्परा और संस्कृति कवि को सब कुछ नष्ट होती दिखाई पड़ती है। उसे इस संसार में कोई रोशनी दिखाई नहीं पड़ रही है जो इस गाँव की संस्कृति को लुटने से बचाये या इस व्यवस्था को ही बदल दे जो इसे मिटाने के लिए हैं।
ques.7- पुरुष के गुण गया है।?
लेखक दिनकर जी के असार पूल में कर्कशता अधिक होती है
तथा कोमलता कम अतः परुष में साहस, वीरता के साथ अर्धनारीश्वर कुछ गुण होने चाहिए जैसे-दया , प्रेम, सहनशीलता, आदि। इन गुणों को अपनाकर पुरुष महान बन जाता है।
ques.8- तिरिछ किसका प्रतीक है?
'तिरिछ' शहरी समाज की संवेदनहीनता और अमानवीयता का मक है। लेखक ने इस कहानी में लोक प्रचलित विश्वास के द्वारा ढहते मूल्यों की हमार ध्यान आकृष्ट किया है। हम क्या थे? 'क्या हो गए' को उद्घाटित करना की कहानीकार का मूल उद्देश्य है। विकसित कहलाने के लिए रूढ़ियों, सड़ी-गली यताओं और अंधविश्वासों का त्याग अत्यावश्यक है।
ques.9 -सूरदास कृष्ण को जगाने के लिए क्या-क्या उपमा गढ़ते हैं?
बालक कृष्ण को जगाने का उपक्रम धरते हुए सूरदास जी कहते हैं हे ब्रजराज भोर हो रही है। जागिए, कमल के समान फूल खिल रहे हैं, कुमुद के गों ने अपनी पंखुड़ियाँ समेट ली हैं। भौरे लताओं में छिप गए, पक्षियों का जालाहल सनाई दे रहा है, मुर्गे ने बॉग दे दी है, बाड़ों में गाय बोल रही हैं तथा बछडों मोदध पिलाने के लिए दौड़ रही हैं। चन्द्रमा का प्रकाश क्षीण हो गया है। सूरज की लालिमा आकाश में फेल रही है। इस प्रकार सोते हुए नंदलाल कृष्ण को अनेक उपमाएँ देकर जगाया जा रहा है।

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